Banbhatt ki atmakatha autobiography
बाणभट्ट की आत्मकथा 'Banabhatta Ki ‘बाणभट्ट की आत्मकथा’ की रचना है। इसमें बाणभट्ट और महाराज हर्ष के एक छोटे कालखण्ड को आधार बनाया गया है। इस उपन्यास के केंद्र में स्वयं बाणभट्ट का जीवन है, जो राष्ट्रीय अस्मिता की प्रतीक तुवरमिलिंद की कन्या भट्टिनी की मुक्ति के महत् उद्देश्य को लेकर आगे बढ़ता है। लेकिन यहाँ द्विवेदी जी की जो मुख्य विशेषता है, वह केवल भट्टिनी की मुक्ति तक ही स.
Banbhatt ki atmakatha Banbhatt. By: आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी की विपुल रचना-सामर्थ्य का रहस्य उनके विशद शास्त्रीय ज्ञान में नहीं, बल्कि उस पारदर्शी जीवन-दृष्टि में निहित है, जो युग का नहीं युग-युग का सत्य देखती है। उनकी प्रतिभा ने इतिहास का उपयोग ‘तीसरी आँख’ के रूप में किया है और अतीत-कालीन चेतना-प्रवाह को वर्तमान जीवनधारा से जोड़ पाने में वह आश्चर्यजनक रूप से सफल हुई है। बाणभट्.
Banbhatt Ki Aatmkatha (Paperback) बाणभट्ट की आत्मकथा उपन्यास द्विवेदी जी का पहला उपन्यास है।. आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी हिंदी साहित्य जगत के श्रेष्ठ रचनाकार है।. ये एक निबंधकार, निष्पक्ष आलोचक और मानवतावादी उपन्यासकार हैं।. संस्कृति के साथ – साथ इतिहास के पक्ष को उजागर कर के उन्होंने अपने रचनाओं को निखारा है।.